Wednesday, November 8, 2023

 

मनुस्मृति में कहा गया है-

अद्भि गात्राणि शुद्धयन्ति मनः सत्येन शुद्धयति। विद्यातपोभ्यां भूत-आत्मा बुद्धि ज्ञानेन शुद्धयति ।

शरीर की शुद्धि जल से, मन की शुद्धि सत्यभाषण से व जीवात्मा की शुचिता के मार्ग विद्या व तप है तथा बुद्धि की स्वच्छता ज्ञानार्जन से होती है।

इसी में क्रम आचरण की शुद्धता अनुशासन से व कर्मों की शुद्धता परहित-संधान से होती है। हमारा विद्यालय परिवेश इस विचार से अछूता नहीं रहा है। जहाँ एक ओर शैक्षिक क्रियाकलापों के माध्यम से मन, वचन व कर्म की शुद्धता पर बल दिया जाता है वहीं दूसरी ओर वह विद्यार्थियों में नैतिक, सामाजिक जीवनमूल्यों व कौशलों के बीजावपन हेतु प्रतिबद्ध है।

इसी प्रतिबद्धता को बनाए रखने के लिए प्रतिवर्ष की भाँति इस वर्ष भी गांधी जयंती के अवसर पर NCC कैडेट्स द्वारा श्रमदान करते हुए राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान में अपनी महती भूमिका का निर्वहन करते हुए मन, वचन व कर्म की शुरधता बनाए रखने का संकल्प लिया।

वायु, जल, मिट्टी ये अपनी, प्रदूषण से मुक्त रहें।

दूध-दही की नदी बहे और ज्ञान की ज्योति जलती रहे। जगद्गुरु हम बने विश्व में, भारत स्वर्ग समाज हमारा। यही लक्ष्य हमारा ,

यही संकल्प हमारा।

रजनी शर्मा

हिंदी अध्यापिका

3 comments:

21st-Century Education: Shaping Careers Beyond Classrooms

 The 21st century has ushered in a new era of education where the ultimate goal is not just acquiring knowledge but ensuring employability a...