उज्ज्वल भविष्य हेतु कौशल पूर्ण शिक्षा शिक्षा दृढ़
संकल्प, समर्पण, त्याग और है सम्मान।
शिक्षा जीवन का
है उच्च आदर्शों के साथ निर्माण।।
शिक्षा सांस्कृतिक परिवर्तन सामाजिक चेतना और मानसिकता के निर्माण का
सशक्त माध्यम है। छात्रों को कार्यबल के लिए तैयार करने हेतु शिक्षा को आज अधिक
व्यावहारिक और कौशल आधारित बनाने की आवश्यकता है।। हमारे छात्रों को कार्यबल में
सफल होने के लिए गहन ज्ञान, जटिल समस्याओं को हल करने की क्षमता
और विभिन्न संदर्भों में व्यावहारिक रूप से ज्ञान और कौशल का उपयोग करना आना ही
चाहिए। विद्यार्थी जीवन में 4 सी (महत्वपूर्ण
सोच या समस्या समाधान, रचनात्मकता और नवाचार कौशल,
नेतृत्व व जिम्मेदारी तथा संचार कौशल) की महत्वपूर्ण भूमिका है।
# महत्वपूर्ण सोच व समस्या समाधान-
छात्रों को जानकारी का विश्लेषण करने और साथ ही समस्या समाधान करने की क्षमता
प्रदान करता है ।सूचना के युग में युवा छात्रों को निष्क्रिय रूप से जानकारी देने
के बजाय प्रश्न पूछना सिखाता है।
# रचनात्मकता और नवाचार -
बॉक्स के बाहर सोचने की कला। यानि 21वीं सदी के कौशल में रचनात्मकता एक अहम पहलू
है जो विद्यार्थियों को समस्याओं के विभिन्न दृष्टिकोणों का विश्लेषण कर नए समाधान
पर कार्य करना सिखाती है, जिन पर हमने पहले विचार नहीं किया हो।
# नेतृत्व व जिम्मेदारी - अन्य लोगों के
साथ मिलकर काम करने की क्षमता का विकास भी 21वीं सदी का एक महत्वपूर्ण कौशल है। हर
किसी के पास लोगों के साथ प्रभावी ढंग से काम करने की क्षमता नहीं होती।
विद्यार्थी एक दूसरे का सहयोग कर विचारों को साझा करने व समस्या समाधान करने में
सक्षम हो सकेंगे।
# संचार कौशल - छात्रों
को प्रभावी ढंग से अपने विचारों को संप्रेषित करने में सक्षम करना ही संचार कौशल
है ताकि समूह से बात करते वक्त अपना ध्यान खोए बिना प्रभावी रूप से संप्रेक्षण कर
सकें।
जब ये 4 सी एक
साथ आते हैं, तभी हम अपने छात्रों को प्रभावी व आत्मविश्वासी व्यक्तित्व बना सकते
हैं। हमारा विद्यालय भी स्कूल पाठ्यक्रम में इन चार सी का उपयोग कर ऐसे
विद्यार्थियों का निर्माण कर रहा है जो किसी भी क्षमता से कार्य बल से प्रवेश करने
के लिए तैयार हैं । जैसे-जैसे वे अपने जीवन में बढ़ते हैं, वे
अनुकूलन, नवाचार संवाद करना सीखकर दुनिया में प्रभावी व्यक्तित्व के रूप में
अपना स्थान बना पाते हैं, क्योंकि 21वीं सदी विकास व कौशल की
सदी है जो विद्यार्थियों में बहुआयामी प्रतिभा जागृत कर आत्मनिर्भर बनने व
विश्लेषणात्मक तार्किक क्षमता का विकास करने वाली है । क्योंकि—
कर्तव्यों का बोध कराती,
अधिकारों का ज्ञान।
शिक्षा से ही मिल सकता
सर्वोपरि सम्मान।।
प्रीति
हिंदी अध्यापिका
Nice
ReplyDeleteVikash Kumar Sharma
Well said
ReplyDeleteWell said
ReplyDeleteNice Daya
ReplyDeleteflying high with team spirit in field of Education
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteThis is the meaning of education in ancient times it was in gurukul now a days it's in school
ReplyDeleteWell said
ReplyDeleteGood work in the direction of inspiring students and giving them a direction
ReplyDeleteGood
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