हमारे आधार : शिक्षा व संस्कार
सद्गुण सुख की खान है,जिस पर टिका संसार।।
शिक्षा और संस्कार एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। शिक्षा मनुष्य के जीवन का अनमोल उपहार है, जो व्यक्ति के जीवन की दिशा और दशा दोनों बदल देती है। संस्कार, जीवन का वह सार है, जिसके माध्यम से मनुष्य के व्यक्तित्व का निर्माण और विकास होता है, इसी पद्धति के अनुसार हमारा विद्यालय विद्यार्थियों में शिक्षा और संस्कार दोनों का विकास कर परिवार, समाज व देश को विकास की ओर अग्रसर कर रहा है। समाज के बदलाव के लिए व्यक्ति में अच्छे गुणों की आवश्यकता होती है और उसकी नींव हमारे विद्यालय में बाल्यावस्था से ही प्रदान की जाती है। हमारा विद्यालय बच्चों में ज्ञान, कर्म और श्रद्धा इन तीनों गुणों को आत्मसात करवाता है, जो किसी भी समाज परिवार व देश की धुरी होते हैं।
हमारा विद्यालय बच्चों को
शारीरिक व आध्यात्मिक दोनों की शिक्षा प्रदान कर बच्चों का पूर्ण व संतुलित विकास
करता है क्योंकि शिक्षा हमें जीविका देती है, तो संस्कार जीवन को मूल्यवान बनाते हैं।विद्यालय
स्तर पर हमारे विद्यालय में विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से भी बच्चों को अनुशासन, आत्म संयम, उत्तरदायित्व, आज्ञाकारिता, विनयशीलता, सहानुभूति, सहयोग व
प्रतिस्पर्धा जैसे गुणों का विकास भी करवाया जाता है। ‘शिक्षा
में ही संस्कार समाहित’ वाक्य की सार्थकता अनुसार हमारा परिवेश बच्चों
में भारतीय संस्कृति, परंपराओं, भाईचारा, एकता, दया व सहयोग की भावना का बीजारोपण भी करता है। शिक्षा के साथ हमारा विद्यालय बच्चों में ज्ञान
की अवधारणा को भी स्थान देता है।
हमारे विद्यालय में ज्ञान के माध्यम से ध्यान, जिज्ञासा, लग्न, परिश्रम, अनुशासन और अभ्यास
के गुणों का आविर्भाव भी विद्यार्थियों में करवाया जाता है, क्योंकि बिना ज्ञान के शिक्षा व्यर्थ है। पुस्तकों को पढ़ने के
साथ-साथ उनका चिंतन-मनन करके विद्यार्थी स्वयं का आत्म-विश्लेषण हमारी शिक्षा पद्धति के द्वारा कर सकते हैं। इस प्रकार ज्ञान
और शिक्षा दोनों का उचित समावेश कर हम विद्यार्थियों का सर्वागीण विकास करते हैं, जो ज्ञान संस्कार के साथ में न आए वह
कालांतर में शव हो जाता है और जिस ज्ञान में संस्कार नियत हों, वह किसी भी स्थान पर बैठ जाए तो शिव हो जाता है। ऐसी उदात्त भावना के
साथ हमारा विद्यालय विद्यार्थियों की सेवा में लगा हुआ है। हमारे विद्यालय में
विद्यार्थियों की ह्रदय बगिया को संस्कार-जल से
सिंचित किया जाता है और ऐसे विद्यार्थी अपने आप को ‘सत्यम
शिवम सुंदरम’ से
जोड़कर न केवल कल्याण हेतु तत्पर हो जाते हैं अपितु स्वयं को अध्यात्म के मार्ग से
जोड़कर अपने मानव जीवन को सार्थकता प्रदान भी करते हैं।
अंततः मैं यहीं कहना
चाहता हूँ कि संस्कार और संस्कृति का बेजोड़ संबंध है, जो संस्कार के बिना ही संस्कृति को जीवित रखना चाहते हैं, वह तो ऐसा है जैसे पानी के बिना बाग को हरा भरा रखना । जीवन रूपी बाग तो संस्कार रूपी जल से ही फला-फूला
रहता है। जीवन में संस्कार की महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि-
शिक्षा जरूरी है
संस्कारों की,संस्कृति की रक्षा के लिए।
शिक्षा जरूरी है
कर्मों की, कर्तव्यों के निर्वहन के लिए।।
Ati sundar
ReplyDeleteBahut khoob
ReplyDeleteNice thoughts 👍
ReplyDeleteGood 👍 Great school
ReplyDeleteGreat ideas
ReplyDeleteRelevant in present scenario! Excellent!
ReplyDeleteअति ज्ञानवर्धक
ReplyDeleteGreat
ReplyDeleteGreat
ReplyDeleteNice thoughts 👍
ReplyDeleteWorth reading
ReplyDeleteWorthy thoughts
ReplyDeleteशानदार
ReplyDeleteGreat
ReplyDeleteप्रेरणादायक विचार
ReplyDeleteNice thoughts
ReplyDeleteAti uttam
ReplyDeleteविद्या ददाति विनयं, विनयादायाति पात्रताम्।
ReplyDeleteपात्रत्वाद् धनमाप्नोति, धनाद् धर्मो तथा सुखम्।।
Groom the values
ReplyDeleteNice thoughts
ReplyDeleteVery impressive
ReplyDeleteWell done
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteGood
ReplyDeleteExcellent
ReplyDeletenice thought
ReplyDeleteexcellent
ReplyDeleteexcellent
ReplyDeleteNice work
ReplyDeleteGood Efforts
ReplyDeleteGood one
ReplyDeleteशिक्षा और संस्कार,
ReplyDeleteमाहेश्वरी विद्यालय का आधार।
Garima Sharma
ReplyDeleteVery true
Good values lay a concrete foundation of a cultured and civilized society. Very true.
ReplyDeleteGreat
ReplyDeleteAparna Sharma