Friday, July 16, 2021

 

 हमारे शिक्षा के उद्देश्य व आदर्श

   विद्या परम् बलम्’ अर्थात्  शिक्षा सर्वश्रेष्ठ बल है। शिक्षा, समाज एक पीढ़ी द्वारा अपने से दूसरी पीढ़ी के ज्ञान का हस्तांतरण है। इस प्रकार से शिक्षा एक संस्था के रूप में काम करती है, जो व्यक्ति विशेष को समाज से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है तथा समाज की संस्कृति की निरंतरता को बनाए रखती है। शिक्षा सफल लोगों को आकार देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हमारे विद्यालय में ऐसी ही उच्च गुणवत्ता युक्त शिक्षा विद्यार्थियों को प्रदान की जाती है जो विद्यार्थियों के बुद्धि कौशल व ज्ञान को बढ़ाकर जीवन में सकारात्मक बदलाव लाती है।

    हमारे शैक्षिक वातावरण में बच्चा समाज के आधारभूत नियमों व व्यवस्थाओं से परिचित होकर समाज के प्रतिमानों एवं मूल्यों को सीखता है व समाज से जुड़ता है। हमारी शिक्षा पद्धति विभिन्न कौशलों, मानसिक, नैतिक और बौद्धिक सौंदर्य के उत्कृष्ट पर केंद्रित है। वर्तमान में आदर्श भारतीय समाज का निर्माण एक आदर्श शिक्षा पद्धति द्वारा ही संभव है जो कि हमारे विद्यालय का प्रमुख ध्येय हैं। हमारे विद्यार्थी विद्या ददाति विनयम् सूक्ति को भी चरितार्थ करते हैं। हमारे विद्यालय में शिक्षा का उद्देश्य चरित्र निर्माण, व्यक्तित्व विकास, राष्ट्रीय संस्कृति का संरक्षण, प्रसार व ईश्वरभक्ति जैसे आदर्शों पर काम करना है ।हमारे शिक्षा के उद्देश्य व आदर्श एक नजर में-                                            


समग्रत: हम कह सकते हैं कि शिक्षा का उद्देश्य वर्तमान समय में शिक्षार्थी के सर्वांगीण विकास पर केंद्रित है। आज के शिक्षाविद मानते हैं कि एक शिक्षार्थी के अंतर्निहित शक्तियों को उजागर करना उसको बाहर निकालना है और शिक्षार्थी का सर्वांगीण विकास अर्थात मानसिक, शारीरिक व भौतिक सभी प्रकार से शिक्षार्थी को संपन्न व सशक्त बनाना ही शिक्षा का उद्देश्य है। हमारे विद्यालय में शिक्षा के इन्हीं उद्देश्यों के तहत विद्यार्थियों को विनम्र, सभ्य व संस्कारी बनाकर साहित्य, संगीत और कलानिपुण  कर उनका सर्वांगीण (मानसिक, शारीरिक व बौद्धिक) विकास करना हैं।


माननीय अशोक जी अजमेरा

       भवन मंत्री

18 comments:

Education

The education landscape is undergoing a significant transformation, driven by technological advancements, changing workforce demands, and ev...