Wednesday, June 30, 2021

 

हमारा ध्येय : 21वीं सदी के नागरिक

बंधुगण ! संस्कृति-संस्कारों से ही होगा

विद्यार्थियों का व्यक्तित्व विकास,

दे हम उन्हें संस्कारों के साथ कौशलों की सीख

बना रहे 21वीं सदी के व्यक्तित्व खास।


किसी भी राष्ट्र की परम उन्नति का प्रमुख आधार कौशल संपन्न युवा पीढ़ी ही हो सकती है, लेकिन वे युवा संस्कृति व संस्कारों से जुड़े हों, उनका मन सकारात्मकता से भरा हो, उनके मन में कुछ हटकर करने की तमन्ना हो, तभी वे समाज व राष्ट्र की आवश्यकताओं के अनुरूप अपने विविध रचनात्मक कौशलों का उपयोग कर कुछ विशेष, प्रभावी व सकारात्मक कार्य कर सकेंगे।

हमारा विद्यालय विद्यार्थियों को संस्कृति व संस्कारों से जोड़े रखने के लिए जहाँ एक ओर भारतीय संस्कृति से जुड़े विविध त्योहारों, महत्त्वपूर्ण दिवसों, महापुरुषों की जयंतियों, पुण्यतिथियों, सामाजिक व धार्मिक उत्सवों एवं राष्ट्रीय पर्वों पर चेतना व प्रेरणा से परिपूर्ण कार्यक्रमों का आयोजन करके सात्विकता, सदाचार, सत्य, समर्पण, सेवा, सहयोग, शुचिता, संयम, सत्यनिष्ठा, परोपकार व अनेक मानवत्व से जुड़े गुणों का विकास कर दया-करुणा, बलिदान और संघर्ष की सीख देता है तो वहीं दूसरी और 21वीं सदी को ध्यान में रखकर संगठन क्षमता, संप्रेषण कौशल, रचनात्मक कौशल, नेतृत्व क्षमता, उत्तरदायित्व निर्वहन, कल्पना शक्ति, पहलपूर्वक किसी कार्य को करना, महत्त्वपूर्ण विचार क्षमता व समूह में कार्य करने संबंधी विविध कौशलों का विकास विद्यार्थियों को विद्यालय स्तर पर विविध अवसर प्रदान करके किया जाता है।

वर्तमान सदी में कौशल से परिपूर्ण, सक्रिय युवाओं के लिए आवश्यक है कि वे तकनीकी ज्ञान, संप्रेषण कौशल में विशेष रूप से दक्ष हों, कर्म सौंदर्य के सच्चे उपासक हों व किसी भी कार्य की पूर्ण जिम्मेदारी लेकर उस कार्य को सफलता के चरम शिखर तक पहुँचाने का अपार उत्साह रखते हों। इसी बात को ध्यान में रखकर हमारे विद्यालय में विद्यालय स्तरीय गतिविधियों के अतिरिक्त समय-समय पर विभिन्न वेबीनार का आयोजन करवाकर, समर कैंप का आयोजन करके, विविध कार्यक्रमों व गतिविधियों में उन्हें उत्तरदायित्व देकर प्रोत्साहित करते हैं और उनकी क्षमताओं को जाग्रत कर उनमें कौशल विकास का कार्य किया जाता है।

21वीं सदी विकास व कौशल की सदी है, गतिपूर्वक स्वयं को आगे बढ़ाने की सदी है; लेकिन इस सदी को प्राण-चेतना प्रदान करने का कार्य संस्कृति व संस्कार ही करेंगे। 21वीं सदी इतिहास के पन्नों में तभी अमर हो पाएगी, जब उस सदी में कार्य करने वाले संस्कृति व संस्कारों से जुड़े हों। एम.पी.एस., प्रताप नगर, जयपुर का लक्ष्य पिछले 13 वर्षों से संस्कृति व संस्कारों से विद्यार्थियों को जोड़कर 21वीं सदी के लिए कौशलों से परिपूर्ण नागरिक तैयार करना रहा है और इस कार्य को हमारे विद्यालय की टीम अपने शिक्षण में NEP-2020 के अनुरूप नवाचार लाकर बड़ी ही चेतना, सकारात्मकता व क्रियाशीलता के साथ कर रही है।

देकर हम कौशल विकास की सीख

कर रहे तैयार 21वीं सदी के नागरिक,

समाज व राष्ट्र बनेगा हमारा उन्नत

गर संस्कृति-संस्कार संयुक्त होंगे ये नागरिक।

मुकेश राठी

मानद् सचिव,

एम.पी.एस., प्रतापनगर, जयपुर

Education

The education landscape is undergoing a significant transformation, driven by technological advancements, changing workforce demands, and ev...